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Hanuman Chalisa in 1 page, how to learn hanuman chalisa

 

 श्री हनुमान चालीसा

आज के इस आर्टिक्ल मे हम जानेंगे की हमे हनुमान चालीसा का किस तरहा से पाठ करना चाहिए । और साथ मे हम हनुमान चालीसा को कैसे याद कर सकते है , इस आर्टिक्ल मे हमने एक pdf का लिंक दिया है जिससे आप इस pdf को download कर सकते हो । और उसमे से देख कर याद कर सकते हो । 


भारतीय संस्कृति में भक्ति और आध्यात्मिकता का महत्व हमेशा से अत्यधिक रहा है। इसका अद्वितीय हिस्सा, "श्री हनुमान चालीसा" है, जो भगवान हनुमान के गुण, महिमा, और कृपा के बारे में हमें बताता है। यह एक  प्रकार की भक्ति और शक्ति का प्रतीक है जो हर युग में हमारी दिशा देता है।


 


**1. हनुमान चालीसा का महत्व:**

 

श्री हनुमान चालीसा एक 40-श्लोकी गीत है, जो तुलसीदास जी द्वारा रचा गया था। इसका पाठ करने से मन, वचन, और क्रिया सभी में सुख, शांति, और सफलता की प्राप्ति होती है। चालीसा के शब्द भक्तों के दिल को छू जाते हैं और उन्हें भगवान हनुमान के प्यार और सहानुभूति का अहसास कराते हैं।

 

**2. भगवान हनुमान का महत्व:**

 

हनुमान जी हनुमान चालीसा के माध्यम से हमारे जीवन में उपस्थित होते हैं। वे भगवान राम के भक्त और सच्चे सेवक हैं, और उनकी आराधना से हमें भक्ति और वीरता के गुण प्राप्त होते हैं। वे समस्त दुखों का नाश करने वाले होते हैं और उनकी आराधना से हमें समर्पण की भावना प्राप्त होती है।

 

**3. हनुमान चालीसा के लाभ:**

 

श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से हमारे जीवन में आशीर्वाद और शक्ति का अहसास होता है। यह हमें साहस, संघर्ष और सफलता की ओर आग्रह करता है। चालीसा का पाठ करने से मानसिक स्थिरता में सुधार होता है और हमारी भक्ति की गहरी भावना बढ़ जाती है।

 

**4. चालीसा का पाठ कैसे करें:**

 

- सुबह या शाम को ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक चालीसा का पाठ करें।

- एक पवित्र स्थान पर बैठें और एक दीपक जलाएं।

- मन में भगवान हनुमान को ध्यान में लाएं और चालीसा का पाठ शुरू करें।

- श्लोकों का अच्छी तरह से उच्चारण करें और महसूस करें कि हनुमान जी की कृपा आप पर हो रही है।



 हनुमान चालीसा :--

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
Zजो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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श्री हनुमान चालीसा एक अद्वितीय भजन है जो हमें भगवान हनुमान के भक्ति और शक्ति के प्रतीक के रूप में दिखाता है। यह हम

 

 जीवन में सुख, सांत्वना, और सफलता का स्रोत है। चाहे आप भगवान हनुमान के भक्त हों या नहीं, चालीसा का पाठ करने से आपका जीवन सफल और खुशहाल हो सकता है।

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